डॉ० वीरेन्द्र शर्मा अपने लेख "हिन्दु नाम कसौटी पर-", (वेदवाणी, मार्च 1996, पृ० 23, पं० 13) में लिखते हैं-
"हमारा तो दावा यह है कि भारतीय परम्परा में संस्कृत के पदादि 'स्' का कोई परिवर्त्तन कहीं भी नहीं हुआ, स् ही रहा है ।"
हम डॉ० शर्मा के इस मत से सहमत नहीं हैं । असमिया में 'श', 'ष' और 'स' यदि शब्द के शुरू में और असंयुक्त हों तो इनका उच्चारण अकसर 'ह' जैसा होता है । उदाहरणस्वरुप - 'समय' का उच्चारण 'हमय' [1], 'साधु' का 'हाधु', 'शकुन्तला' का 'हकुन्तला' इत्यादि । श्री बिधुभूषण दासगुप्त "Assamese Self-Taught" में लिखते है (सन्दर्भ 1, पृष्ठ 31-32)-
"श,ष,स have sounds peculiar to Assamese. They represent Sanskrit श,ष and स in initial position. But their pronunciation is sometimes like ख and sometimes like ह. In the compound letters or conjunct consonants they are pronounced like English’s’. e.g.-शागुन (हागुन) - vulture, षाठि (हाठि) - sixty, सीता (हीता), बिषय (बिखय), श्रम (स्रम) - labour, स्नान (स्नान) - bath, विष्णु (विस्नु) - Lord Vishnu, etc."
17 अगस्त 1993 को गौहाटी से आये हुए एक सज्जन श्री एन० जे० गोस्वामी से असमिया भाषा के बारे में विस्तृत चर्चा हुई । इसी चर्चा के दौरान हमने उनसे पूछा कि जब असमिया में 'स' का अकसर 'ह' उच्चारण होता है तो क्या 'Saikia' (an Assamese Surname) का उच्चारण 'Haikia' होता है ? उत्तर हाँ में मिला अर्थात् 'शइकीया' का उच्चारण 'हइकीया' ही होता है । असमिया में 'श', 'ष' और 'स' के उच्चारण में कोई विशेष अन्तर नहीं होने के कारण ही Bronson ने "Dictionary in Assamese and English" (प्रकाशन वर्ष 1867 ई०) में 'श' और 'ष' का बिलकुल त्याग करके सिर्फ 'स' का ही प्रयोग किया है (सन्दर्भ 2, पृष्ठ 401) ।
असमिया में 'श', 'ष' और 'स' के उच्चारण के बारे में अन्य विद्वानों के मत नीचे दिये जाते हैं ।
डॉ० ग्रियर्सन “Linguistic Survey of India” (सन्दर्भ 2, पृष्ठ 401) में लिखते हैं - "The three letters श, ष and स, when not compounded with any other consonant, are all pronounced something like a rough German ch, or like the Arabic ख़े ".
डॉ० काकती अपनी थीसिस "Assamese, Its Formation and Development" में लिखते हैं (सन्दर्भ 3, पृष्ठ 63)-
"To sum up, the sibilants have different sound values in initial and non-initial positions in ts. [2] words and they are treated differently in non-initial positions in tbh. words. In initial positions in both ts. and tbh. words they are pronounced as x., but in non-initial positions in ts. words they are pronounced as kh. In non-initial positions in tbh. words, they are all changed to h............. In the case of the numerals, the sibilant श has a स sound and is a borrowed one. In some borrowed forms, palatal च [3] is substituted for the sibilants in writing. In compound consonant groups, the sibilants retain an 's' sound".
कई विद्वानों की सहायता से श्रीमती सीता देवी द्वारा तैयार की गई पुस्तक "Indian Language Highway for All", जिसमें तेरह भारतीय भाषाओं एवं अन्य चार भाषाओं (अंग्रेजी, फ्रेंच, Burmese, Sinhalese) की हर सम्भव ध्वनि के लिए अलग-अलग चिह्न (कुल डेढ़ सौ से भी अधिक) तैयार करने का प्रयास किया गया है, में 'श','ष','स' के उच्चारण के लिए अरब ' ख़े ' जैसा खखारकर गला साफ करने जैसी कण्ठ्य ध्वनि नहीं बल्कि डच भाषा के 'g' या उर्दू के 'हे' जैसी मृदु कण्ठ्य ध्वनि निर्दिष्ट की गई है (सन्दर्भ 4, पृष्ठ xviii) –
0h = Tamil क् , ∴ ; medial soft guttural as in Dutch g, also found in Assamese, Hindustani ह़ , Urdu हे. [here, in "oh", the o is in the superscript]
0hk = Hindustani ख़् , high guttural like cleaning throat (अख़बार ) – Urdu ख़े । [here, in "ohk", the o is in the superscript]
टिप्पणी
[1] असमिया में सकार का उच्चारण थोड़ा मुँह गोल करके किया जाता है, इसलिए 'हमय' सुनने में लगभग 'होमोय्' जैसा प्रतीत होता है । 'असमिया' का उच्चारण सुनने में लगभग 'ओहोमिया' जैसा लगता है । इसी तरह अन्य शब्दों के बारे में भी समझना चाहिए ।
[2] x = ख़, ts. = तत्सम, tbh. = तद्भव
[3] असमिया वर्णमाला के 'च' वर्ण का उच्चारण 'स' जैसा होता है, जैसे - चाय = साय् ।
सन्दर्भ
1. Bidhu Bhusan Dasgupta: “Assamese Self Taught”, Das Gupta Prakashan, 3, Ramanath Mazumdar Street, Calcutta-9, 1966.
2. “Linguistic Survey of India”, Vol. V, Part I, Ed. G. A. Grierson, Motilal Banarsidass.
3. Dr Banikanta Kakati: “Assamese, Its Formation and Development”, thesis approved for the Ph.D. degree of the Calcutta University, 1935; Revised and Edited by Golock Chandra Goswami, Lawyer’s Book Stall, Gauhati, 1962.
4. Adeltha P. Siitaa Devii: “Indian Language Highway for All”, The Adyar Library and Research Centre, Madras, 1967.
"हमारा तो दावा यह है कि भारतीय परम्परा में संस्कृत के पदादि 'स्' का कोई परिवर्त्तन कहीं भी नहीं हुआ, स् ही रहा है ।"
हम डॉ० शर्मा के इस मत से सहमत नहीं हैं । असमिया में 'श', 'ष' और 'स' यदि शब्द के शुरू में और असंयुक्त हों तो इनका उच्चारण अकसर 'ह' जैसा होता है । उदाहरणस्वरुप - 'समय' का उच्चारण 'हमय' [1], 'साधु' का 'हाधु', 'शकुन्तला' का 'हकुन्तला' इत्यादि । श्री बिधुभूषण दासगुप्त "Assamese Self-Taught" में लिखते है (सन्दर्भ 1, पृष्ठ 31-32)-
"श,ष,स have sounds peculiar to Assamese. They represent Sanskrit श,ष and स in initial position. But their pronunciation is sometimes like ख and sometimes like ह. In the compound letters or conjunct consonants they are pronounced like English’s’. e.g.-शागुन (हागुन) - vulture, षाठि (हाठि) - sixty, सीता (हीता), बिषय (बिखय), श्रम (स्रम) - labour, स्नान (स्नान) - bath, विष्णु (विस्नु) - Lord Vishnu, etc."
17 अगस्त 1993 को गौहाटी से आये हुए एक सज्जन श्री एन० जे० गोस्वामी से असमिया भाषा के बारे में विस्तृत चर्चा हुई । इसी चर्चा के दौरान हमने उनसे पूछा कि जब असमिया में 'स' का अकसर 'ह' उच्चारण होता है तो क्या 'Saikia' (an Assamese Surname) का उच्चारण 'Haikia' होता है ? उत्तर हाँ में मिला अर्थात् 'शइकीया' का उच्चारण 'हइकीया' ही होता है । असमिया में 'श', 'ष' और 'स' के उच्चारण में कोई विशेष अन्तर नहीं होने के कारण ही Bronson ने "Dictionary in Assamese and English" (प्रकाशन वर्ष 1867 ई०) में 'श' और 'ष' का बिलकुल त्याग करके सिर्फ 'स' का ही प्रयोग किया है (सन्दर्भ 2, पृष्ठ 401) ।
असमिया में 'श', 'ष' और 'स' के उच्चारण के बारे में अन्य विद्वानों के मत नीचे दिये जाते हैं ।
डॉ० ग्रियर्सन “Linguistic Survey of India” (सन्दर्भ 2, पृष्ठ 401) में लिखते हैं - "The three letters श, ष and स, when not compounded with any other consonant, are all pronounced something like a rough German ch, or like the Arabic ख़े ".
डॉ० काकती अपनी थीसिस "Assamese, Its Formation and Development" में लिखते हैं (सन्दर्भ 3, पृष्ठ 63)-
"To sum up, the sibilants have different sound values in initial and non-initial positions in ts. [2] words and they are treated differently in non-initial positions in tbh. words. In initial positions in both ts. and tbh. words they are pronounced as x., but in non-initial positions in ts. words they are pronounced as kh. In non-initial positions in tbh. words, they are all changed to h............. In the case of the numerals, the sibilant श has a स sound and is a borrowed one. In some borrowed forms, palatal च [3] is substituted for the sibilants in writing. In compound consonant groups, the sibilants retain an 's' sound".
कई विद्वानों की सहायता से श्रीमती सीता देवी द्वारा तैयार की गई पुस्तक "Indian Language Highway for All", जिसमें तेरह भारतीय भाषाओं एवं अन्य चार भाषाओं (अंग्रेजी, फ्रेंच, Burmese, Sinhalese) की हर सम्भव ध्वनि के लिए अलग-अलग चिह्न (कुल डेढ़ सौ से भी अधिक) तैयार करने का प्रयास किया गया है, में 'श','ष','स' के उच्चारण के लिए अरब ' ख़े ' जैसा खखारकर गला साफ करने जैसी कण्ठ्य ध्वनि नहीं बल्कि डच भाषा के 'g' या उर्दू के 'हे' जैसी मृदु कण्ठ्य ध्वनि निर्दिष्ट की गई है (सन्दर्भ 4, पृष्ठ xviii) –
0h = Tamil क् , ∴ ; medial soft guttural as in Dutch g, also found in Assamese, Hindustani ह़ , Urdu हे. [here, in "oh", the o is in the superscript]
0hk = Hindustani ख़् , high guttural like cleaning throat (अख़बार ) – Urdu ख़े । [here, in "ohk", the o is in the superscript]
टिप्पणी
[1] असमिया में सकार का उच्चारण थोड़ा मुँह गोल करके किया जाता है, इसलिए 'हमय' सुनने में लगभग 'होमोय्' जैसा प्रतीत होता है । 'असमिया' का उच्चारण सुनने में लगभग 'ओहोमिया' जैसा लगता है । इसी तरह अन्य शब्दों के बारे में भी समझना चाहिए ।
[2] x = ख़, ts. = तत्सम, tbh. = तद्भव
[3] असमिया वर्णमाला के 'च' वर्ण का उच्चारण 'स' जैसा होता है, जैसे - चाय = साय् ।
सन्दर्भ
1. Bidhu Bhusan Dasgupta: “Assamese Self Taught”, Das Gupta Prakashan, 3, Ramanath Mazumdar Street, Calcutta-9, 1966.
2. “Linguistic Survey of India”, Vol. V, Part I, Ed. G. A. Grierson, Motilal Banarsidass.
3. Dr Banikanta Kakati: “Assamese, Its Formation and Development”, thesis approved for the Ph.D. degree of the Calcutta University, 1935; Revised and Edited by Golock Chandra Goswami, Lawyer’s Book Stall, Gauhati, 1962.
4. Adeltha P. Siitaa Devii: “Indian Language Highway for All”, The Adyar Library and Research Centre, Madras, 1967.