नारायण प्रसाद का चिट्ठा

Tuesday, February 14, 2017

“प्रक्रियासर्वस्वम्” के रचयिता नारायणभट्ट और उनका काव्य “निरनुनासिक”

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“प्रक्रियासर्वस्वम्” के रचयिता नारायणभट्ट और उनका काव्य “निरनुनासिक” It has come down to us in Malabar through tradition that नारायण ...
Thursday, August 26, 2010

9. अष्टाध्यायी कण्ठस्थ कैसे करें ?

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[ यों तो यह लेख खासकर उन लोगों के लिए लिखा जा रहा है जिन्हें औपचारिक रूप से किसी पाणिनीय व्याकरण के विशेषज्ञ आचार्य की देखरेख में अष्टाध्याय...
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Sunday, December 27, 2009

8. Treatment of कित्-ङित् प्रकरण (P.1.2.1-26) in the Post-Paninian Systems of Sanskrit Grammar

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( Note : for diacritics the font Taralabalu Roman 11 is required) 1.0 Based on the present author’s “Concordance of Nine Sanskrit Grammar...
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Friday, December 26, 2008

7. कातन्त्र विस्तरवृत्ति का रचयिता एवं शर्ववर्मा

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कातन्त्र विस्तरवृत्ति का रचयिता एवं शर्ववर्मा Synopsis 'संस्कृत व्याकरणशास्त्र का इतिहास' written by पं॰ युधिष्ठिर मीमांसक is a mon...
Wednesday, December 24, 2008

6. कातन्त्रस्य शार्ववर्मिक-व्याख्यानम्

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कातन्त्रस्य शार्ववर्मिक-व्याख्यानम् Synopsis The proof...
Wednesday, October 29, 2008

5. .सरस्वतीकण्ठाभरण - the Magnum Opus of Sanskrit Grammar *

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(Note: for diacritics the font Taralabalu Roman 11 is required) 1. Introduction -- Importance of पाणिनि The अष्टाध्यायी of  पाणिनि (5th...
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नारायण प्रसाद
जन्म नालन्दा जिला के एक गाँव में । आई॰आई॰टी॰ खड़गपुर से बी॰टेक॰ ऑनर्स (1980) । रूसी साहित्य में डिप्लोमा (1984), जर्मन भाषा में डिप्लोमा (1986) । लगभग सभी आधुनिक भारतीय लिपियों से अवगत । पुणे में 1980 से कार्यरत ।
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